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हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो कहाँ पर स्थित है और क्यों प्रसिद्ध है?

हड़प्पा कहाँ पर स्थित है और क्यों प्रसिद्ध है?        

         बहुत-से इतिहासकार इस सभ्यता का मुख्य केंद्र हड़प्पा होने के कारण इस सभ्यता को ''हड़प्पा सभ्यता'' का नाम देना अधिक उचित समझते है। इस सभ्यता में सबसे पहले खोजा गया नगर हड़प्पा था इस कारण भी इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है। 'हड़प्पा' और 'मोहनजोदड़ो' शहरो की खोज के बाद इस सभ्यता के प्रमाण प्राप्त हुए। हड़प्पा सभ्यता की खोज सर्वप्रथम रायबहादुर दयाराम साहनी , 1921 में की थी। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के खंडहर रावी नदी के किनारे पाए जाते है। 'हड़प्पा' रावी नदी के किनारे बसा है। वर्ष 1921 ई. में पाकिस्तान के मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के किनारे, दयाराम साहनी एवं माधोस्वरूप वत्स ने 'हड़प्पा' शहर की खोज की थी। 'हड़प्पा शहर' में शवो के अंतिम संस्कार की दफ़नाने की प्रथा प्रचलित थी।

हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो कहाँ पर स्थित है और क्यों प्रसिद्ध है?

मोहनजोदाड़ो कहाँ पर स्थित है और क्यों प्रसिद्ध हैं ?


        मोहनजोदड़ो, सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का एक प्रसिद्ध और पुरातात्विक नगर था। यह पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में स्थित है। मोहनजोदड़ो के सबसे बड़े भवन उसके धान्यागार या अन्नागार है। इस अन्नागार की लम्बाई 45.71 मीटर तथा चौड़ाई 15.23 मीटर थी। इसके विपरीत मोहनजोदड़ो से प्राप्त विशाल स्नानागार की उत्तर से दक्षिण की ओर लम्बाई 11.88 मीटर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर चौड़ाई 7.01 मीटर और गहराई 2.43 मीटर है। सिंधु सभ्यता में नर्तकी की कांस्य की मूर्ति भी मोहनजोदड़ो से ही प्राप्त हुई है। 'मोहनजोदड़ो' शब्द का अर्थ 'मृतकों का टीला' होता है। मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के किनारे बसा है। तीन मुख वाले देवता 'पशुपति नाथ' की मूर्ति भी मोहनजोदड़ो से ही प्राप्त हुई है। ये लोग एक शील पर तीन मुख वाले देवता (पशुपति नाथ) की पूजा भी करते थे। इस मूर्ति में उनके चारो और हाथी, गेंडा, चीता और भैंसा विराजमान है।

         राखालदास बनर्जी ने वर्ष 1922 में सिंधु नदी के किनारे पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के 'लरकाना जिले' में मोहनजोदड़ो की खोज की।

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