शिक्षक दिवस (अंग्रेजी में : Teacher Day) को भारत में प्रतिवर्ष 5 सितम्बर के दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (1952 से 1962) और दूसरे राष्ट्रपति (1962 से 1967) भी रहे। इन्हे भारत का प्रथम अध्यात्मिक एवं शिक्षक राष्ट्रपति भी कहा जाता है। यह भारतीय संस्कृति के संवाहक , एक आस्थावादी हिन्दू , महान दार्शनिक और प्रशिद्ध शिक्षाविद भी थे। इनके महान व्यक्तित्व के गुणों के कारण ही भारत सरकार के द्वारा वर्ष 1954 में इनको भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म स्थल और उनका परिवार
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 ई. में तमिलनाडु के तिरुतनी ग्राम में हुआ था। जो उस समय लगभग मद्रास से 64 किलोमीटर की दूरी पर था। इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनका जन्म स्थान भी एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध रहा है। राधाकृष्णन के पुरखे कभी 'सर्वपल्ली' नामक ग्राम में रहते थे। 18 वी सदी के मध्य में उन्होंने तिरुतनी ग्राम में आकर अपना निवास स्थल बनाया किन्तु वह यह चाहते थे कि उनके नाम के साथ सदैव उनके जन्मस्थल का भी बोध हो इसलिए उनके परिवार के सदस्य अपने नाम से पहले 'सर्वपल्ली' धारण करने लगे थे या वे लोग अपने नाम से पहले सर्वपल्ली जो कि उनका जन्मस्थल था उसे लगाने लगे थे।
डॉ. राधाकृष्णन के पिता का नाम 'सर्वपल्ली वीरास्वामी' और उनकी माता का नाम 'सीताम्मा' था। उनके पिता राजस्व विभाग में कार्य करते थे। वीरास्वामी के पांच पुत्र और एक पुत्री थी। राधाकृष्णन उनकी दूसरी संतान थे।उनके पिता पर काफी बड़े परिवार के भरण-पोषण का दायित्व था जिस कारण उन्हें बचपन में कोई विशेष सुख प्राप्त नहीं हुआ।
शिक्षा (Education)
राधाकृष्णन का अधिकांश बचपन उनके जन्म स्थल तिरुतनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थानों पर ही व्यतीत हुआ। राधाकृष्णन बचपन से ही एक मेधावी छात्र रहे उन्हें उनके शिक्षा जीवन में उन्हें कई बार शिक्षा छात्रवृति प्राप्त हुई जिससे उनकी शिक्षा प्राप्ति की समस्याए कुछ सीमा तक कम हो गयी।
उनके बचपन के 8 वर्ष के समय के पश्चात उनके पिता ने उन्हें क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, 'तिरुपति' में वर्ष 1896-1900 में विद्या अध्ययन के लिये भेजा। इसके बाद की उनकी अगले 4 वर्षो (1900 -1904) की शिक्षा 'वेल्लूर' में हुई। वह 17 वर्ष की आयु में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में चले गए। दर्शनशास्त्र से M.A. करने के पश्चात वर्ष 1916 में वे मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यपक नियुक्त हुए। बाद में इसी कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का विवाहित जीवन और उनका परिवार
1903 ई. में जब उनकी उम्र 16 वर्ष मात्र थी तब उनका विवाह उनकी रिश्तेदारी की दूर की बहन 'सिवाकामू' के साथ सम्पन्न हो गया। उस समय उनकी पत्नी की आयु मात्र 10 वर्ष थी। उनका विवाह परिवार की परम्परा के साथ किया गया। जब उनकी पत्नी की आयु 13 वर्ष हो गयी तब वह भी उनके साथ आकर रहने लगी। उनकी पांच पुत्रिया और एक पुत्र था। पुत्र का नाम 'सर्वपल्ली गोपाल' था। उनकी पत्नी 'सिवाकामू' की मृत्यु 1956 ई. में हुई थी।
भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति
सोवियत संघ से 1952 में लौटने के बाद उन्हें भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया। 13 मई 1952 में उन्होंने भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यभार संभाला । वह 12 मई 1962 ई. तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे।
भारत के दूसरे राष्ट्रपति
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 14 मई 1962 में भारत का दूसरा राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। उन्होंने 5 वर्षो तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला। वह 13 मई 1967 ई. तक भारत के राष्ट्रपति रहे।
भारत रत्न
वर्ष 1931 ई. में ब्रिटिश सरकार के द्वारा राधाकृष्णन को 'सर' की उपाधि प्रदान की गयी थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उस उपाधि का महत्त्व उनके लिए समाप्त हो चुका था। वर्ष 1952 ई. में जब उन्हें भारत का प्रथम उपराष्ट्रपति नियुक्त किया गया तब स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने वर्ष 1954 में उन्हें उनकी महान शैक्षिक और दार्शनिक उपलब्धियों के लिए भारत का सर्वोच्च सम्मान 'भारत-रत्न' प्रदान किया।
शिक्षक दिवस
भारत में प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस, डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है।
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