विधि का आदेशात्मक सिद्धांत (Imperative Theory of Law ) -
ऑस्टिन के अनुसार, ''विधि सम्प्रभु का एक ऐसा समादेश है जो व्यक्ति या व्यक्तियों को किसी कार्य विशेष को करने के लिए बाध्य करता है। " अतः आदेशात्मक कानून एक नियम है जो आदेश रूप में किसी प्रमुख शक्ति द्वारा लागू किया जाता है।
ऑस्टिन के अनुसार, निश्चित विधि (Positive Law )
यह उन आदेशों का समूह है जो किसी स्वतंत्र राजनैतिक समाज के सदस्य के आचरण या आचरणों के विषय के रूप में लागू किये जाते है। "ऑस्टिन प्रत्येक विधि को विधिदाता के समादेश, नागरिको पर प्रतिबन्धिता का आभार तथा एक अनुसास्ति जो अवज्ञा के समय सनतर्जित की जा सके विघटित करते है। " ऑस्टिन के इस कथन का सार यह है कि "विधि" और "न्याय" में अंतर् है। विधि का आधार और उसकी मान्यता संप्रभु की शक्ति में निहित है। उनका कहना है कि हमारा विधि के अच्छेपन या बुरेपन से कोई सम्बन्ध नहीं है। हमे विधि को उसके वर्तमान रूप में देखना है। अर्थात हमे यह देखना है कि वर्तमान प्रचलित "विधि कैसी है" न कि इसे भविष्य में "कैसा होना चाहिये" या भूतकाल में कैसी थी।
![]() |
Definition of Law According to Austin |
आदेशात्मक सिद्धांत की विशेषताए (Characteristics of Imperative Theory )
ऑस्टिन के आदेशात्मक सिद्धांत की मुख्य विशेषताए है -
- प्रत्येक विधि आदेशों का एक प्रकार है।
- समस्त स्पष्ट विधियाँ संप्रभु के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आदेश है।
- प्रत्येक विधि एक प्रकार की आचरण सम्बन्धी संहिता पेश करती है।
- विधि का पालन राज्य की भौतिक शक्ति द्वारा कराया जाता है।
0 Comments