वेस्ट नाइल वायरस
वेस्ट नाइल वायरस पहली बार 1937 में युगांडा (पूर्वी अफ्रीका) में खोजा गया था। यह पक्षियों में पाया जाता है और मच्छरों द्वारा मनुष्यों में फैल गया था। वेस्ट नाइल वायरस एक आरएनए (RNA) वायरस है जो वेस्ट नाइल बुखार का कारण बनता है। वायरस फ्लेविविरिडे परिवार से सम्बंधित है। फ्लाविविरिडे परिवार में जीका वायरस, येलो फीवर वायरस और डेंगू वायरस भी है। यह सभी बीमारियाँ मच्छरों के द्वारा ही फैलती है।वेस्ट नाइल वायरस मुख्य रूप से मच्छरों के माध्यम से फैलता है। इस वायरस को अन्य संक्रमित जानवरों, उनके रक्त और ऊतकों से भी प्रेषित किया जा सकता है। उनके प्राथमिक मेजबान पक्षी हैं। मनुष्यों के अलावा, घोड़े इस वायरस के कारण सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। घोड़ों के लिए टीके उपलब्ध हैं परन्तु मनुष्यों के लिए नहीं है।
![]() |
वेस्ट नाइल वायरस |
वेस्ट नाइल वायरस के संक्रमण के कारण
वेस्ट नाइल वायरस पक्षियों से मच्छरों तक और मच्छरों से घोड़ों और स्तनधारियों तक फैलता है। वायरस अंग प्रत्यारोपण, माताओ द्वारा बच्चो को स्तनपान और रक्त-आधान के माध्यम से मनुष्यों में भी संचारित हो सकता है। अब तक, मानव-से-मानव में वेस्ट नाइल वायरस संचरण नहीं हुआ है।वेस्ट नाइल वायरस से होने वाली बीमारी
वेस्ट नाइल वायरस की वजह से होने वाली गंभीर बीमारी न्यूरोइन्वेसिव बीमारी है।
0 Comments